त्राटक साधना: मन की शक्ति बढ़ाने और तीसरी आँख जाग्रत करने का रहस्यमयी विज्ञान

 

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त्राटक साधना का रहस्य और सम्पूर्ण मार्गदर्शन

त्राटक साधना
त्राटक साधना का रहस्य
त्राटक साधना कैसे करें
त्राटक से तीसरी आँख जागृत
मानसिक शक्ति बढ़ाने की साधना
त्राटक के लाभ
त्राटक साधना की विधि
आध्यात्मिक साधना
त्राटक से दिव्य दृष्टि
योग में त्राटक का महत्व

प्राचीन भारत की योग विद्या में त्राटक साधना एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती है त्राटक का अर्थ है अटल दृष्टि से एक बिंदु पर बिना पलक झपकाए निहारना यह साधना हमारी मानसिक एकाग्रता को तीव्र करने के साथ साथ अद्भुत आंतरिक शक्तियों को जाग्रत करती है

त्राटक केवल नेत्रों की शक्ति बढ़ाने का माध्यम नहीं है बल्कि यह साधक को उसकी आत्मिक यात्रा में सहायता प्रदान करता है यह साधना अंततः साधक को अदृश्य जगत के द्वारों तक ले जाती है जहाँ उसे ब्रह्मांडीय ऊर्जा और अद्भुत ज्ञान का अनुभव होता है

इस पोस्ट में हम त्राटक साधना का सम्पूर्ण रहस्य उसके प्रकार लाभ विधि सावधानियाँ और इससे जुड़े गहरे रहस्यों को विस्तार से जानेंगे

त्राटक साधना क्या है

त्राटक का शाब्दिक अर्थ है एकटक देखना योग शास्त्रों के अनुसार जब साधक किसी निश्चित बिंदु वस्तु या ज्योति को बिना पलक झपकाए लगातार देखता है तो यह क्रिया त्राटक कहलाती है

त्राटक साधना के दो प्रमुख अंग होते हैं

आंतरिक त्राटक जिसमें साधक अपनी कल्पना में किसी वस्तु या बिंदु को देखता है

बाह्य त्राटक जिसमें साधक किसी बाहरी वस्तु जैसे दीपक की लौ काले बिंदु चंद्रमा सितारे आदि को स्थिर दृष्टि से देखता है

त्राटक साधना से नेत्रों की शक्ति तो बढ़ती ही है साथ ही मानसिक एकाग्रता स्मरण शक्ति और आंतरिक चेतना का अद्भुत विकास होता है

त्राटक साधना का रहस्य

त्राटक एक सीधा साधन है लेकिन इसके भीतर छुपा हुआ रहस्य अत्यंत गहरा है जब साधक बिना पलक झपकाए एक बिंदु पर ध्यान केंद्रित करता है तो उसकी संपूर्ण मानसिक ऊर्जा एक दिशा में प्रवाहित होने लगती है सामान्यतः हमारा मन एक जगह स्थिर नहीं रह पाता वह हर क्षण भटकता रहता है लेकिन त्राटक साधना के माध्यम से हम मन को वश में कर सकते हैं

मन का यह स्थिर होना ही मानसिक शक्तियों के जागरण की पहली सीढ़ी है त्राटक साधना के निरंतर अभ्यास से साधक में दिव्य दृष्टि का विकास होने लगता है उसे सूक्ष्म जगत की अनुभूति होती है और कभी कभी तो भविष्य की झलकियाँ भी दिखाई देने लगती हैं

त्राटक साधना के माध्यम से तीसरी आँख अर्थात आज्ञा चक्र का जागरण भी सहज हो सकता है जिससे साधक अपनी आत्मा और ब्रह्मांडीय चेतना के बीच सीधा संवाद स्थापित कर पाता है

त्राटक साधना के प्रकार

त्राटक साधना विभिन्न प्रकार की होती है प्रत्येक प्रकार का उद्देश्य और प्रभाव अलग होता है

दीपक त्राटक
साधक जलती हुई दीपक की लौ पर ध्यान केंद्रित करता है यह सबसे सामान्य और प्रभावशाली त्राटक है

बिंदु त्राटक
दीवार पर बनाए गए काले या सफेद बिंदु पर त्राटक करना इस प्रकार में दृष्टि को अत्यंत स्थिर करना होता है

चंद्र त्राटक
पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की चांदनी में त्राटक करना यह साधना मानसिक शांति और चंद्र ऊर्जा के जागरण के लिए अत्यंत प्रभावी मानी जाती है

स्वरूप त्राटक
किसी आराध्य देवता या गुरु के चित्र पर त्राटक करना इससे श्रद्धा और आंतरिक भक्ति जाग्रत होती है

आत्मिक त्राटक
आंखें बंद कर के अपने अंदर किसी बिंदु या प्रकाश का ध्यान करना इसे सबसे उच्च कोटि का त्राटक माना जाता है

त्राटक साधना करने की विधि

त्राटक साधना को सही विधि से करना अत्यंत आवश्यक है तभी इसके पूर्ण लाभ मिलते हैं आइए जानते हैं त्राटक करने का सही तरीका

स्थान का चयन
शांत और अंधेरा या हल्की रौशनी वाला स्थान चुनें जहाँ किसी प्रकार का व्यवधान न हो

समय
त्राटक के लिए ब्रह्म मुहूर्त यानी सुबह 4 से 6 बजे के बीच का समय सर्वोत्तम है लेकिन रात्रि में सोने से पहले भी साधना की जा सकती है

वस्तु का चयन
दीपक बिंदु या कोई उपयुक्त वस्तु चुनें दीपक त्राटक के लिए घी का दीपक सबसे उत्तम माना जाता है

बैठक
सुखासन पद्मासन या वज्रासन में सीधे बैठें मेरुदंड यानी रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए

वस्तु की स्थिति
दीपक या बिंदु को आँखों के सीधे सामने रखें न अधिक ऊँचा न अधिक नीचा वस्तु की दूरी लगभग डेढ़ से दो फीट होनी चाहिए

दृष्टि स्थिर करना
आँखें खोलकर बिना पलक झपकाए उस वस्तु को निहारें जब तक संभव हो एकाग्र रहकर देखें अगर आँखों में पानी आने लगे तो आँखें बंद कर लें और मानसिक त्राटक करें

आंतरिक ध्यान
जब आँखें बंद करें तो जिस वस्तु पर देखा था उसका आभास ध्यान में बनाए रखें

समय अवधि
प्रारंभ में 5 मिनट से साधना शुरू करें फिर धीरे धीरे अभ्यास बढ़ाकर 20 से 30 मिनट तक पहुँचाएं

नियमितता
हर दिन एक ही समय पर साधना करें इससे मानसिक स्थिरता और शक्ति में निरंतर वृद्धि होती है

त्राटक साधना के लाभ

त्राटक साधना नियमित रूप से करने से अनेक अद्भुत लाभ प्राप्त होते हैं

मानसिक एकाग्रता में अद्भुत वृद्धि होती है जिससे पढ़ाई व्यवसाय और साधना में सफलता मिलती है

स्मरण शक्ति तेज होती है और भुलक्कड़पन समाप्त होता है

आंखों की रोशनी में सुधार होता है और नेत्र विकार जैसे चश्मे की निर्भरता कम हो सकती है

आंतरिक चेतना जागृत होती है जिससे सूक्ष्म ज्ञान और दिव्य अनुभूतियाँ होती हैं

भय संशय तनाव और चिंता दूर होकर गहरी मानसिक शांति का अनुभव होता है

तीसरी आँख यानी आज्ञा चक्र का जागरण होकर भविष्यदर्शिता और अतिंद्रिय ज्ञान की क्षमताएँ विकसित हो सकती हैं

मन और इन्द्रियों पर नियंत्रण प्राप्त होता है जिससे जीवन में स्थिरता और सफलता मिलती है

त्राटक साधना करते समय सावधानियाँ

त्राटक करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए

दीपक या वस्तु की लौ या बिंदु अत्यधिक तेज या धुंधला नहीं होना चाहिए

जबरदस्ती पलकें खुली रखने का प्रयास न करें अगर आँखों में जलन या थकान हो तो थोड़ी देर विश्राम करें

त्राटक के तुरंत बाद पानी से आँखें न धोएँ बल्कि हल्के हाथ से आँखें बंद करके विश्राम करें

किसी मानसिक या नेत्र रोग से पीड़ित व्यक्ति त्राटक साधना करने से पहले योग्य गुरु या चिकित्सक से सलाह अवश्य ले

त्राटक साधना के दौरान किसी प्रकार का डर भ्रम या अदृश्य अनुभव हो तो घबराएँ नहीं बल्कि शांत रहें और साधना को नियंत्रित तरीके से जारी रखें

त्राटक साधना से जुड़े गहरे रहस्य

त्राटक साधना केवल आंखों की एकाग्रता की साधना नहीं है यह एक शक्तिशाली आध्यात्मिक साधना है

योगीजन कहते हैं कि त्राटक के माध्यम से साधक अपने अंदर छिपे सूक्ष्म नेत्र को जागृत कर सकता है जिसे दिव्य दृष्टि या ज्ञान चक्षु कहा जाता है

त्राटक के अभ्यास से समय के साथ साधक को ध्यान के गहरे स्तरों का अनुभव होने लगता है उसे अपनी चेतना का विस्तार होता दिखाई देता है

कुछ साधक त्राटक के माध्यम से ब्रह्मांडीय ऊर्जा तरंगों को देख सकते हैं उनके अंदर दिव्य प्रकाश और कंपन का अनुभव होता है

त्राटक साधना के द्वारा साधक स्वयं के और इस ब्रह्मांड के रहस्यों को साक्षात् अनुभव कर सकता है

यह साधना न केवल आंतरिक विकास का साधन है बल्कि यह साधक को पूर्ण रूप से जागृत आत्मा की ओर ले जाने का सेतु भी है

निष्कर्ष

त्राटक साधना एक अत्यंत प्रभावशाली और रहस्यमयी साधना है जिसका अभ्यास यदि श्रद्धा नियमितता और विधिपूर्वक किया जाए तो साधक अद्भुत मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियाँ प्राप्त कर सकता है

यह साधना साधक के जीवन में एक नया प्रकाश भर देती है उसे बाहरी और भीतरी दोनों जगत के रहस्यों से परिचित कराती है

त्राटक केवल एक अभ्यास नहीं बल्कि आत्म साक्षात्कार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है

यदि आप भी अपने जीवन में मानसिक शांति तेजस्विता और दिव्यता का अनुभव करना चाहते हैं तो त्राटक साधना को अपने जीवन का हिस्सा अवश्य बनाइए

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